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Thursday, January 5, 2017

सारे रद्द नोट वापस,विकास दर में तीन प्रतिशत गिरावट हमारी नाकेबंदी,अब महामहिम राष्ट्रपति पर भी रोक लागाइये जो खुलेआम मंदी का ऐलान कर रहे हैं! आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?


नोटबंदी से गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं!

सारे रद्द नोट वापस,विकास दर में तीन प्रतिशत गिरावट

हमारी नाकेबंदी,अब महामहिम राष्ट्रपति पर भी रोक लागाइये जो खुलेआम मंदी का ऐलान कर रहे हैं!

आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?

सिखों के दसवें गुरु, हम सबके गुरु गोविंद की 350वीं जयंती  के मौके पर प्रणाम।

इस पर्व पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर 2016 को लागू किए गए नोटबंदी के फैसले और इससे अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ने वाले असर को लेकर अब राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी आशंका जाहिर की है।राष्ट्रपति ने दो टुक शबदों मे कहा है कि नोटबंदी की मार से गरीबों का हाल बेहाल है।महामहिम ने कहा है, 'नोटबंदी से जहां कालेधन और भष्ट्राचार के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, वहीं इससे अर्थव्यवस्था में अस्थायी रूप से कुछ नरमी आ सकती है। गरीबों की तकलीफों को दूर करने के मामले में हमें ज्यादा सजग रहना होगा, कहीं ऐसा न हो कि दीर्घकालिक प्रगति की उम्मीद में उनकी यह तकलीफ बर्दास्त से बाहर हो जाए।'

हम शुरु से ,पहले दिन से नोटबंदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी की युगल बंदी के तहत ग्लोबल हिंदुतव के त्रिशुल हिंदू राष्ट्र भारत,कु क्लाक्स क्लैन का रंगभेदी अमेरिका और मुसलमानों के खिलाफ जिहादी इजराइल की तरफ से ग्लाोबल हिंदुत्व का यह वैश्विक विध्वंस कार्यक्रम मान रहे हैं।

जैसे कि कभी गोर्बाचेव ने अमेरिकी योजना के तहत सोवियत संघ की अर्तव्यवस्था को तहस नहस करने के लिए नोटबंदी कर दी थी और नतीजतन सोवियत संघ हजार टुकड़ो में निबट गया था।नोटबंदी का यह कार्यक्रम भारत के बहुजनों के नस्ली सफाया का कार्यक्रम है,हमने लगातार लिखा है।

बंगाल की भुखमरी की तस्वीर पेश करते हुए हम लगातार कह रहे हैं कि इस नोटबंदी से व्यापक पैमाने में बेरोजगारी होने वाली है और करोड़ों लोगों का रोजगार आजीविका अर्थव्वस्था और उत्पादन प्रणाली के साथ खत्म है।आगे मंदी और भुखमरी है।प्रिंट में हमें कहीं नहीं हैं,सोशल मीडिया पर हमारी नाकेबंदी है।

हमारी नाकेबंदी,अब महामहिम राष्ट्रपति पर भी रोक लगाइये जो खुलेआम मंदी का ऐलान कर रहे हैं।गौरतलब है कि नोटबंदी को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार कोई बयान दिया है।महामहिम राष्ट्रपति का कहना है कि नोटबंदी की वजह से गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं।

गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति ने देश भर के राज्यपालों और उपराज्यपालों को संबोधित करते हुए नोटबंदी का जिक्र किया। राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दिए गए अपने संदेश में कहा कि नोटबंदी से निश्चित ही गरीबों की परेशानियां बढ़ी हैं।

गौरतलब है कि महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि नोटबंदी से कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में ताकत मिलेगी, लेकिन इससे फिलहाल अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर भी प्रभाव पड़ेगा। इससे अस्थायी आर्थि‍क मंदी संभव है।

इसी बीच ग्‍लोबल फाइनेंशियल सर्विस एचएसबीसी ने कहा कि नोटबंदी की वजह से जीडीपी ग्रोथ में भारी कमी आने का अनुमान है। उसके मुताबिक अक्‍टूबर से दिसंबर के बीच ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहेगी। एचएसबीसी ने कहा है कि आने वाले क्‍वार्टर (जनवरी-मार्च) में भी जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी का असर बना रह सकता है और ग्रोथ पूर्व के 8 फीसदी के अनुमान से घटकर 6 फीसदी तक गिर सकती है। जनवरी-मार्च के बीच 6 फीसदी ग्रोथ का अनुमान,जो आगे और गिरने के आसार हो सकते हैं। एचएसबीसी की तरफ से जारी रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी का असर मैन्‍युफैक्‍चरिंग, इन्‍वेस्‍टमेंट और सर्विस सेक्‍टर पर सबसे ज्‍यादा पड़ा है।

विकास दर में तीन फीसद गिरावट का मतलब है अर्थव्यवस्था,आम जनता और खासकर गरीबों के लिए तबाही जिसकी चेतावनी राष्ट्रपति ने संवैधानिक दायरे में दो टुक शब्दों में दे दी है।अक्टूबर से दिसंबर तक विकास दर आठ फीसद से गिरकर पांच फीसद हो गयी है।यह नोटबंदी का असर है।पहले अर्थशास्त्री एक फीसद की गिरावट होने की आशंका जता रहे थे।नोटबंदी बुरीतरह  फ्लाप हो जाने से गिरावट कहां तक जायेगी,अब अर्थशास्त्री ही हिसाब जोड़कर बतायें।बगुला छाप विशेषज्ञ बेहतर जानते हैं।जिनकी सलाह से रिजर्व बैंक और वित्तमंत्री को अंधेरे में रखकर राजनीतिक मकसद से यूपी जीतने की खातिर भारत की आम जनता और अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया नरसिस महान तानाशाह आत्ममुग्ध ने और लाउडस्पीकर बन गया मीडिया भी।

इस पर तुर्रा यह कि बीस जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका से आईटी सेक्टर में भारत के कारोबार और रोजगार दोनों को जोर का झटका लग सकता है जबकि आईटी पर फोकस राजीव गांधी के जमाने से 1984 से लगातार जारी है और आईटी के तहत ही भारत में निजीकरण, उदारीकरण और ग्लोबीकरण की धूम है।खेती और उत्पादन पर फुल स्टाप है।उच्चशिक्षा और शोध खत्म है।ज्ञान की खोज सिरे से बंद है।तकनीक और ऐप के मुक्तबाजार की जान आईटी है और उसकी जान अमेरिका में है।

अब ताजा खबर यह है कि भारतीय आईटी कंपनियों की मुश्किल बढ़ सकती हैं। अमेरिका एच-1बी  वीजा के नियम और सख्त करने वाला है जिससे कंपनियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में नौकरी देना मुश्किल हो जाएगा। खबरों के मुताबिक यूएस कांग्रेस में एच-1बी वीजा बिल दोबारा पेश किया गया है। इस  बिल में कई बदलाव बड़े बदलाव किए गए हैं।नए प्रस्तावों के तहत एच-1बी वीजा के लिए न्यूनतम सैलरी 1 लाख डॉलर प्रति साल होनी चाहिए। हालांकि नए बिल में मास्टर डिग्री की छूट कर दी है।

नोटबंदी बुरीतरह फ्लाप हो गया।विश्वविद्यालयों को बंद कराने का अभियान अभी चालू है और जेएनयू में बहुजन छात्रों को अलगाव में डालने की मुहिम अभी जारी है,लेकिन इन छात्रों के हक में अब फिर जयभीम कामरेड की आवाजें गूंजने लगी हैं। बंगाल में चार हिरोइनों की प्रेमकथा की चाश्नी मिली रोजवैली क्रांति के हिंदुत्व अश्वमेधी अभियान सर्जिकल स्ट्राइक की तरह बुमरैंग हैं।नोटबंदी के खिलाफ बंगाल में आज दूसरे दिन भी ट्रेन सड़क यातायात हिंसक प्रदर्शन की वजह से बाधित होती रही दिनभर और पूरे बंगाल में मोदी का पुतला दहन मनुस्मृति दहन में तब्दील है।हांलाकि श्राद्धकर्म वैदिकी  है।

झूठ के काले कारोबार,फासिज्म के राजकाज का नया शगूफा मोदी का अनूठा मास्टर स्ट्रोक दाउद की संपत्ति जब्त कराने का दावा है।भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि मोदी सरकार को नोटबंदी के कालाधन निकालो अभियान के तहत एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार की कोशिशों से भारत के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम की यूनाइटेड अरब अमीरात स्थित 15,000 करोड़ की संपत्ति को ज़ब्त कर लिया गया है। हालांकि, दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है। जबकि बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने बुधवार को एक ट्वीट कर इसे प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का मास्टर स्ट्रोक क़रार दिया गया।

कैशलैस डिजिटल इंडिया के झूठे क्वाब को वित्तमंत्री शुरु से लेसकैश कह रहे हैं।झूठ का यह महातिलिस्म भी बेपरदा हो गया है। ई वैलेट के जरिये कैशलैस इंडिया में डिजिटल लेनदेन पर देश के सबसे बड़े बैंक स्टेटबैंक आफ इंडिया ने नेट असुरक्षा के चलते रोक लगा दी है।

गुगल के सीईओ ने खड़गपुर आईआईटी में छात्रों से संवाद के दौरान माना है कि भारत में कैशलैस लेनदेन का इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है।हालांकि उन्होंने कहा हैः

Google CEO Sundar Pichai in an exclusive interview to NDTV said that the company is now using India as a lab for world innovations. Giving away Google's next steps in India, Mr Pichai said the notes ban or demonetisation is a bold move and would accelerate digital change and his company may bring services on top of the UPI based system which will make digital payments easier.

जिस यूपीआई  के की नींव पर डिजिटल इंडिया की जमीन बननी है, गुगल के सीईओ के मुताबिक उसे अभी आकार लेने में वक्त लगेगा और बहुआयामी कोशिश करनी होगी।जब संरचना है ही नहीं,नेट से बाहर है अधिकांश जनता,निराधार आधार के जोखिम और असुरक्षा के आधार पर नोटबंदी का यह करतब सीधे मास डेस्ट्राक्शन है।

गौरतलब है कि गुगल सीईओ ने डिजिटल इंडिया के बारे में एनडी टीवी से कहा हैः

On digital payments

  • When you drive these platform shifts, take some time for effects to play out, it's a multiplier effect.

  • I think it is a courageous move and it is a platform shift for the unplanned economy, trying to digitise how cash moves around and you know we are excited by it.

  • I think you know understanding what UPI is and the power of the stack, which is being built here, I think it is truly unique to India.

  • We are working on it hard. Anything we can do to make payments easier for users in India.

  • So we are trying to understand UPI stack, to bring some services, which which will make things better for Indian users in terms of digital payments.

जिस भीम ऐप को लांच करके यूपी जीतने का ख्वाब संजो रहे हैं तानाशाह,उससे भले वे चुनाव जीत जाये,लेनदेन के लिए यह ऐप मुसीबत का सबब साबित हो रहा है।बाबासाहेब की खुली बेइज्जती पर बहुजन समाज खामोश है।भीम फर्जीवाड़ा है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए BHIM (Bharat Interface for Money) मोबाइल एप लॉन्च किया है। BHIM मोबाइल एप सरकार के पुराने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) और यूएसएसडी (अस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा) का अपडेटेड वर्जन है जिसके जरिए डिजिटल पेमेंट लिया और भेजा जा सकता है। हालांकि इसके लॉन्च होने के कुछ दिनों के भीतर ही इस नाम के करीब 40 फेक एप Google play store पर अपनी जगह बना चुके हैं।

इन नकली एप से बचकर रहें।

बता दें कि फिलहाल भीम एप सिर्फ गूगल प्ले स्टोर पर ही मौजूद है और जल्द ही इसे iOS प्लेटफॉर्म पर भी लॉन्च किया जाएगा। इस डिजिटल पेमेंट एप को एंड्राइड यूजर प्ले स्टोर पर जाके डाउनलोड कर सकता है। आप जैसे ही प्ले स्टोर पर पहुंचकर भीम एप सर्च करते हैं तो सबसे ऊपर जो एप दिखाई देता है वही असली एप है लेकिन उसके नीचे *99#BHIM UPI, modi BHIM, BHIM payment जैसे नामों वाले करीब 40 नकली भीम एप भी आपको दिखाई देंगे।

डफरशंख की घोषाणाओं के मुताबिक नोट वापस करने की अंतिम तिथि 31 मार्च से घटाकर 31 दिसंबर कर दिये जाने के बावजूद करीब 15 लाख करोड़ रद्द पांच सौ और हजार के नोट बैंकों में वापस चले आये हैं।बैंकों के चेस्ट में नत्थी आइकन से पाी पाई लेनदेन रियल टाइम में दर्ज हो रहा है।फिरभी न वित्तमंत्री और न रिजर्व बैंक के गवर्नर कितना कालाधन निकला,इसका कोई आंकड़ा देने को तैयार है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को धर्मनिरपेक्ष बताया है लेकिन हिंदुत्व को धर्म मानने से इंकार कर दिया है।ग्लोबल हिंदुत्व के एजंडे पर कोई अंकुश लगा नहीं है।नतीजतन गोपट्टी का महाभारत जीतने खातिर संघ परिवार फिर राममंदिर निर्माण किये बिना रामजी से दगा करते हुए साठ के दशक की गोमाता की शरण में है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार अब गाय- भैंसों को भी आधार कार्ड देने जा रही है। देश में पशुओं की गणना तथा दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुपालन मंत्रालय ने यह तरीका खोजा है। लगभग एक लाख लोग पूरे देश के कोने-कोने में घूमकर पशुओं पर टैग लगाएंगे।

आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?

इसी सिलसिले में निवेदन है कि हम पहले से कह रहे हैं,लिख रहे हैं कि नस्ली नरसंहार का सफाया अभियान का आधार निराधार आधार है।नागरिकों की बायोमैट्रिक पहचान किसी सभ्य विकसित देश को मंजूर नहीं है।लेकिन नागरिकों की स्वतंत्रता,संप्रभुता,नागरिक और मानवाधिकार,उनकी संपत्ति,जमा पूंजी बचत इत्यादि के साथ उनकी निजता और गोपनीयता की धज्जियां उड़ाकर आंखों की पुतलियों और उंगलियों की छाप के गैरकानूनी असंवैधानिक कारोबार के जरिये देश नीलाम करने का काला धंधा सर्वदलीय सहमति से चल रहा है।आधार पहचान के जरिये कैशलैस लेनदेल शतप्रतिशत बिना किसी सुरक्षा गारंटी के कर लेने का कारपोरेटएकाधिकार हमला यह नोटबंदी है।कालाधन नहीं निकला है।इसलिए इसका हिसाब कोई दे नहीं रहा है।

फाइनेंसियल एक्सेप्रेस के मुताबिक हकीकत यह हैः

Indians have deposited nearly all the currency bills outlawed at the end of the deadline last year, according to people with knowledge of the matter, dealing a blow to Prime Minister Narendra Modi's drive to unearth unaccounted wealth and fight corruption, reports Bloomberg.

Banks have received R14.97 lakh crore as of December 30, the deadline for handing in the old bank notes, the people said, asking not to be identified citing rules for speaking with the media. The government had initially estimated about R5 lakh crore of the R15.4 lakh crore rendered worthless by the sudden move on November 8 to remain undeclared as it may have escaped the tax net illegally.

खबरों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को 15 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट मिलने का अनुमान है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के बाद बैन किए गए नोट बैंकों में जमा करने की समय सीमा खत्म होने यानी 30 दिसंबर 2016 तक 97 फीसदी ओल्ड करंसी बैंकों में वापस आ चुका है।हालांकि सरकार व आरबीआई ने इस बारे में आधिकारिक आंकड़ा अभी तक जारी नहीं किया है। आधिकारिक आंकड़े दस दिसंबर तक हैं, जिनमें आरबीआई ने कहा कि 12.44 लाख करोड़ रुपये राशि के पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट वापस आ गए।

गौरतलब है कि नोटबंदी के ऐलान के समय अर्थव्यवस्था में 500 और 1000 रुपये के नोटों की शक्ल में करीब 15.4 लाख करोड़ रुपये की रकम थी। सूत्रों के अनुसार, 30 दिसंबर 2016 तक इसमें से 14.97 लाख करोड़ रुपये बैंकों में वापस आ चुकी थी।

केंद्र सरकार ने शुरुआत में अनुमान लगाया था कि नोटबंदी के फैसले के बाद टैक्स चोरी कर जाम किए गए 5 लाख करोड़ रुपये (कालाधन) वापस ही नहीं आएंगे। नोटबंदी के फैसले से ये बेकार हो जाएंगे।अगर वर्तमान हालात की बात करें तो 97 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैकों में वापस आ चुके हैं। यह आंकड़ा लगभग 100 फीसदी तक भी जा सकता है क्योंकि 31 मार्च तक एनआरआई और नोटबंदी के समय विदेश गए भारतीय आरबीआई में पुराने नोटों को जमा करा सकते हैं।

आधार निराधार गाय भैंसों की सरकार,मनुष्यों की क्या दरकार?

यूपी जीतने के लिए देश की आम जनता पर सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा यह है कि चुनाव सर्वे में अभी से संघ परिवार का परचम लहराने लगा है।चुनाव से ऐन पहले परंपरा तोड़कर बजटपेश करने के फैसले के बाद अब गायपट्टी में लोकतंत्र और चुनाव प्रक्रिया दोनों के हिंदुत्वकरण का चाकचौबंद इंतजाम है।नोटों की बरसात अलग से जारी है।इंसानों से नागरिकता छीन रही है।इंसानों से हकहकूक छीने जा रहे हैं।नागरिकऔर मानवाधिकारों की हत्या हो रही है।गाय भैंसों की नागरिकता के लिए लिए उन लोगों को 50 हजार टैबलेट भी सौंप दिए गए हैं। सरकार का प्लान है कि इस साल लगभग 88 मिलियन गाय और भैंसों के कान में यूआईडी नंबर सेट कर दिया जाएगा। इससे सभी दुधारु पशुओं की अपनी अलग पहचान होगी और उनकी सेहत का ख्याल रखने के लिए आईडी नंबर का सहारा लिया जाएगा।

टैग की मदद से पशुओं पर नजर रखने में आसानी होगी। जिससे उनकी दवाएं, टीकाकरण समय-समय पर किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि इससे 2022 तक डेयरी किसानों की आय लगभग दोगुनी हो जाएगी। प्रत्येग टैग सरकार को आठ रुपए का पड़ेगा।उस टैग को ऐसे मेटेरियल से बनाया जा रहा है जिससे पशु को कोई नुकसान नहीं होगा। टैग लगाने गया शख्स उसे लगाकर टैग के नंबर को अपने टैबलेट के ऑनलाइन डाटाबेस में ऐड कर लेगा। इसके साथ ही पशु के मालिक को उससे जुड़ा एक हेल्थ कार्ड दिया जाएगा।

नोटबंदी के बाद जारी हुए नए नोटों को लेकर कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं, लेकिन इस बार बैंक ने किसान को ऐसे नोट थमा दिए जिसमें गांधी जी गायब थे। मध्य प्रदेश में एक बैंक द्वारा किसानों को बिना महात्मा गांधी की तस्वीर वाले 2000 रुपए के नोट दिए जाने का मामला सामने आया है। किसानों को एसबीआई ब्रांच की ओर से दिए गए नोटों में गांधी जी।

मामला मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले की बड़ोदा तहसील का है। फर्जी नोट समझकर किसान हैरान हो गए। हालांकि बाद में बैंक कर्मचारियों ने बताया कि ये नोट असली हैं, लेकिन इनकी प्रिंटिंग सही से नहीं हुई है।

लक्ष्मण मीणा और गुरमीत सिंह नाम के दोनों किसानों ने बैंक से आठ-आठ हजार रुपए निकाले थे। दोनों किसानों को बैंक की ओर से दो-दो हजार रुपए के चार-चार नोट दिए गए। बिना नोटों को जांचे परखे इन्होंने अपने पास रख लिए। बैंक से बाहर आकर जब इन्होंने नोट देखे तो दंग रह गए। पास में मौजूद लोगों ने जब यह देखा तो वे भी हैरान थे कि बिना गांधी जी की तस्वीर के नोट कैसे छप सकता है।

हालांकि जब यह लोग वापस बैंक में गए तो बैंक अधिकारियों ने पूछताछ के बाद नोट वापस ले लिए। भारतीय स्टेट बैंक के एक अधिकारी आर के जैन का कहना है कि, "यह जाली नोट नहीं हैं। इनमें मिसप्रिंट हुई है, नोटों को जांच के लिए भेज दिया गया है।"

ई-वॉलेट में सुरक्षा का हवाला देकर कल एसबीआई ने नेटबैंकिंग के जरिए वॉलेट रीचार्ज करने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सीएनबीसी-आवाज़, अलग-अलग शहरों में केस स्टडी के जरिए ये जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या वाकई ई-वॉलेट सुरक्षित हैं? क्या ई-वॉलेट में पैसा रखना सही है? कहीं कंपनियां अधूरी तैयारी के साथ तो काम नहीं कर रहीं। इसकी पड़ताल करते हुए हमें मिले दिल्ली के सीए राजीव सूद। राजीव सूद पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं और कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपने पेटीएम वॉलेट में 1000 रुपये क्रेडिट कार्ड से ट्रांसफर किए। लेकिन ये पैसे कहां चले गए, इसका अब तक हिसाब नहीं हैं।

सीएनबीसी-आवाज़ की पड़ताल के इसी क्रम में हमें दूसरा उदाहरण मिला नागपुर में। यहां भी पेटीएम वॉलेट को लेकर ही दिक्कत थी। दरअसल, रिषभ इंफोटेक के मालिक राजेश जवर ने करीब 15 दिन पहले अपने बैंक अकाउंट से 4,000 रुपये पेटीएम वॉलेट में ट्रांसफर किए। लेकिन राजेश न कोई ट्रांजैक्शन कर पा रहे हैं और न इन्हें पैसा रिफंड मिल रहा है।

इस पड़ताल में सीएनबीसी-आवाज़ ने मुंबई के ऐसे दुकानदारों से भी बात की, जो पेटीएम इस्तेमाल करते हैं। इनको भी ट्रांजैक्शन के बाद मैसेज न मिलने और वॉलेट का पैसा वापस अकाउंट में न ट्रांसफर हो पाने की शिकायत थी। रेस्टोरेंट संचालक, शंकर का कहना है कि वॉलेट का पैसा पेटीएम में ट्रांसफर नहीं होता और फोन करने के लिए सीधे कोई कस्टमर केयर नंबर नहीं है।



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